तीसरा लच्छय समानांतर सरकार का होता है
गुिरल्ला युद्ध के योजनाबद्ध िवकास का लच्छय हािसल करने के बाद नक्सली संगठनों का तीसरा लच्छय होता है इलाके िवशेष में सामानांतर सकार नाने की। यह वो िस्थित होती है जब राजसत्ता की हुकूमत उस इलाके में िसफॆ पऱताक बनकर रह जाती है। इसी मुकाम पर नक्सली इलाका िवशेष को स्वतंतर घोिषत करते हैं। जैसा िक िपछले िदनों झारखंड के चतरा िजले में नक्सिलयों ने िकया भी है। सामानांतर सरकार की हैिशयत में अाना दीघॆकालीन लोकयुद्ध के दौरान छोटे-छोटे इलाकों पर कब्जा कर सशस्तर कऱांित के मागॆ पर पुनः िचिह्नत छोटे इलाके पर ज्याा दा धायान िदया जाने लगता है। इस दौरान नक्सली रणनीित पऱभाव और सबक पर भी मंथन का दौर चलता रहता है। पऱयास होता है िक जन गोलबंदी एकीकृत बना रहे। हालांिक कई बार एेसा भी होता है िक स्वतंतर करार िदये गये इलाके में राजसत्ता अपने सैन्य बल के जिरये पुनः अपना पऱभाव कायम कर ले।इस िस्थित के िलए नक्सली पहले से ही एक कायॆयोजना पर काम करते रहते हैं तथा दबाव की िस्थित के हटते ही पुनः पूवॆ की िस्थित में अा जाने का पऱयास करते हैं। रूस में लेिनन और चीन में माअो की सश्स्तर कऱांित से अिभभूत नक्सली कऱांितकारी शिक्तयों को उभारने के साथ इसका भी पऱयास करते हैं िक सामािजक-राजनीितक धऱुवीकरण की पऱिकऱया काफी तेज हो। इससे राजसत्ता का संकट गहराता है और उसके भीतर का अंतरिवरोध ज्यादा गहरा और तीखा होता जाता है। नक्सली रणनीित यह होती है िक समस्याअों के समाधान में सरकार िवफल साित हो और उसकी चौतरफा अालोचना हो। यह एक एेसी िस्थित होती है िजसमें सशस्तर जनयुद्ध िबना बाधा के तेजी से मुकाम की अोर बढ़ता है।तब सबसे िनचले और अासान स्वरूपों से शुरू कर सशस्तर छापामार रणनीित उच्चतर िस्थित की अोर तीवऱता से पऱगित करता है।इसी मुकाम पर नक्सली रणनीितकार पऱचार और पऱकाशन संगिठत कर जनयुद्ध के पछ में अंतरराष्टीय िरश्तों को बनाने और फैलाने की अोर बढ़ते हैं। पऱयास यह होता है िक िवदेशी संबंधों के जिरये अपने पछ में राजनीितक समथॆन हािसल िकया जाये। यही िसथित रूस और चीन की राजशाही के िखलाफ सशस्तर कऱांित के दौर में भी थी। राजशाही का दमन, फेिलयर और जन िवरोधी रुख ने तब लेिनन और माअो को महानायक बना िदया था। पड़ोसी देश नेपाल में भी यही हुअा और नक्सली नेता पऱचंड अाज बुलेट की जगह बैलेट से राजसत्ता में अाये हैं। भारत में राजशाही की जगह लोकशाही है तथा किमयों-खािमयों के बावजूद जनता को अपनी पसंद की सरकार चुनने का अिधकार भी है। इस बदली पिरिस्थित में नक्सली अांदोलन को लच्छय कब और कैसे िमलेगे, यह अानेवाला समय तय करेगा। लेिकन इितहास गवाह है िक बुद्ध, महावीर और गांधी के अिहंसक युद्ध में ही शािमल होता रहा है।भारत